अमावस्या हिन्दु पंचांग के अनुसार माह की 30 वीं और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है उस दिन आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देता, रात्रि में सर्वत्र गहन अन्धकार छाया रहता है । इस दिन का ज्योतिष एवं तंत्र शास्त्र में अत्यधिक महत्व हैं। तंत्र शास्त्र के अनुसार अमावस्या के दिन किये गए उपाय बहुत ही प्रभावशाली होते है और इसका फल भी अति शीघ्र प्राप्त होता है। पितृ दोष हो या किसी भी ग्रह की अशुभता को दूर करना हो, अमावस्या के दिन सभी के लिए उपाय बताये गए है । आपकी आर्थिक, पारिवारिक और मानसिक सभी तरह की परेशानियाँ इस दिन थोड़े से प्रयास से ही दूर हो सकती है।
हर अमावस्या को घर के कोने कोने को अच्छी तरह से साफ करें, सभी प्रकार का कबाड़ निकाल कर बेच दें। इस दिन सुबह शाम घर के मंदिर और तुलसी पर दिया अवश्य ही जलाएं इससे घर से कलह और दरिद्रता दूर रहती है ।
अमावस्या पर तुलसी के पत्ते या बिल्व पत्र बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए। अमावस्या पर देवी-देवताओं को तुलसी के पत्ते और शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने के लिए उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।
धन लाभ के लिए अमावस्या के दिन पीली त्रिकोण आकृति की पताका विष्णु मन्दिर में ऊँचाई वाले स्थान पर इस प्रकार लगाएँ कि वह लगातार लहराती रहे, तो आपका भाग्य शीघ्र ही चमक उठेगा। लगातार स्थाई लाभ हेतु यह ध्यान रहे की झंडा वहाँ लगा रहना चाहिए। उसे आप समय समय पर स्वयं बदल भी सकते है।
हर अमावस्या को गहरे गड्ढे या कुएं में एक चम्मच दूध डालें इससे कार्यों में बाधाओं का निवारण होता है । इसके अतिरिक्त अमावस्या को आजीवन जौ दूध में धोकर बहाएं, आपका भाग्य सदैव आपका साथ देगा ।
अमावस्या के दिन शनि देव पर कड़वा तेल, काले उड़द, काले तिल, लोहा, काला कपड़ा और नीला पुष्प चढ़ाकर शनि का पौराणिक मंत्र "ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तण्डसंभुतं नमामि शनैश्चरम।" की एक माला का जाप करने से शनि का प्रकोप शांत होता है , एवं अन्य ग्रहों के अशुभ प्रभावों से भी छुटकारा मिलता है । हर अमावस्या को पीपल के पेड़ के नीचे कड़वे तेल का दिया जलाने से भी पितृ और देवता प्रसन्न होते हैं।
प्रत्येक अमावस्या को गाय को पांच फल भी नियमपूर्वक खिलाने चाहिए, इससे भी घर में शुभता एवं हर्ष का वातावरण बना रहता है ।
अमावस्या के दिन किसी सरोवर पर गेहूं के आटे की गोलियां ले जाकर मछलियों को डालें। इस उपाय से पितरों के साथ ही देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त होती है, धन सम्बन्धी सभी समस्याओं का निराकरण होता है।
अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर पवित्र होकर जो व्यक्ति रोगी है उसके कपड़े से धागा निकालकर रूई के साथ मिलाकर उसकी बत्ती बनाएं। फिर एक मिट्टी का दीपक लेंकर उसमें घी भरकर, रूई और धागे की बत्ती लगाकर यह दीपक हनुमानजी के मंदिर में जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। इस उपाय से रोगी की तबियत जल्दी ही सुधरने लगती । यह उपाय उसके बाद कम से कम 7 मंगलवार और शनिवार को भी नियमित रूप से करना चाहिए।
अमावस्या के दिन एक कागजी नींबू लेंकर शाम के समय उसके चार टुकड़े करके किसी भी चौराहे पर चुपचाप चारों दिशाओं में फेंक दें। इस उपाय से जल्दी ही बेरोजगारी की समस्या दूर हो जाती है।
अमावस्या की रात्रि में 8 बादाम और 8 काजल की डिबिया काले कपडे में बांध कर सिंदूर में रखे, इससे शीघ्र ही आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है ।
अमावस्या के दिन क्रोध, हिंसा, अनैतिक कार्य, माँस, मदिरा का सेवन एवं स्त्री से शारीरिक सम्बन्ध, मैथुन कार्य आदि का निषेध बताया गया है, जीवन में स्थाई सफलता हेतु इस दिन इन सभी कार्यों से दूर रहना चाहिए ।
अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए विशेष पूजन करना चाहिए। यदि आपके पितृ देवता प्रसन्न होंगे तभी आपको अन्य देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त हो सकती है। पितरों की कृपा के बिना कठिन परिश्रम के बाद भी जीवन में अस्थिरता रहती है, मेहनत के उचित फल प्राप्त नहीं होती है ।
हर अमावस के दिन एक ब्राह्मण को भोजन अवश्य ही कराएं। इससे आपके पितर सदैव प्रसन्न रहेंगे, आपके कार्यों में अड़चने नहीं आएँगी, घर में धन की कोई भी कमी नहीं रहेंगी और आपका घर - परिवार को टोने-टोटको के अशुभ प्रभाव से भी बचा रहेगा।
पितृ दोष निवारण के लिये यदि कोई व्यक्ति अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर जल में दूध , गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल मिलाकर सींचते हुए पुष्प, जनेऊ अर्पित करते हुये “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाएं नमः" मंत्र का जाप करते हुये 7 बार परिक्रमा करे तत्पश्चात् ॐ पितृभ्यः नमः मंत्र का जप करते हुए अपने अपराधों एवं त्रुटियों के लिये क्षमा मांगे तो पितृ दोष से उत्पन्न समस्त समस्याओं का निवारण हो जाता है। और अगर सोमवती अमावस्या हो तो पीपल की 108 बार परिक्रमा करने से विशेष लाभ मिलता है ।
हर अमावस्या पर पितरों का तर्पण अवश्य ही करना चाहिए । तर्पण करते समय एक पीतल के बर्तन में जल में गंगाजल , कच्चा दूध, तिल, जौ, तुलसी के पत्ते, दूब, शहद और सफेद फूल आदि डाल कर पितरों का तर्पण करना चाहिए। तर्पण, में तिल और कुशा सहित जल हाथ में लेकर दक्षिण दिशा की तरफ मुँह करके तीन बार तपरान्तयामि, तपरान्तयामि, तपरान्तयामि कहकर पितृ तीर्थ यानी अंगूठे की ओर जलांजलि देते हुए जल को धरती में किसी बर्तन में छोड़ने से पितरों को तृप्ति मिलती है। ध्यान रहे तर्पण का जल तर्पण के बाद किसी वृक्ष की जड़ में चड़ा देना चाहिए वह जल इधर उधर बहाना नहीं चाहिए।
शास्त्रो के अनुसार प्रत्येक अमावस्या को पित्तर अपने घर पर आते है अतः इस दिन हर व्यक्ति को यथाशक्ति उनके नाम से दान करना चाहिए। इस दिन बबूल के पेड़ पर संध्या के समय पितरों के निमित्त भोजन रखने से भी पित्तर प्रसन्न होते है।
पितरों को खीर बहुत पसंद होती है इसलिए प्रत्येक माह की अमावस्या को खीर बनाकर ब्राह्मण को भोजन के साथ खिलाने पर महान पुण्य की प्राप्ति होती है, जीवन से अस्थिरताएँ दूर होती है। इस दिन संध्या के समय पितरों के निमित थोड़ी खीर पीपल के नीचे भी रखनी चाहिए ।
अमावस्या के दिन काले कुत्ते को कड़वा तेल लगाकर रोटी खिलाएं। इससे ना केवल दुश्मन शांत होते है वरन आकस्मिक विपदाओं से भी रक्षा होती है ।
अमावस्या के दिन अपने घर के दरवाजे के ऊपर काले घोड़े की नाल को स्थापित करें। ध्यान रहे कि उसका मुंह ऊपर की ओर खुला रखें। लेकिन दुकान या अपने आफिस के द्वार पर लगाना हो तो उसका खुला मुंह नीचे की ओर रखें। इससे नज़र नहीं लगती है और घर में स्थाई सुख समृद्धि का निवास होता है ।
अमावस्या की तिथि को कोई भी नया कार्य, यात्रा, क्रय-विक्रय तथा समस्त शुभ कर्मों को निषेध कहा गया है, इसलिए इस दिन इन कार्यों को नहीं करना चाहिए ।
वैसे तो सभी अमावस्या का महत्व है लेकिन सोमवार एवं शनिवार को पड़ने वाली अमावास्या विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है। इसके अतिरिक्त मौनी अमावस्या और सर्वपितृ दोष अमावस्या अति महत्वपूर्ण मानी गयी है।
"श्री स्वामी समर्थ " हा मंत्र कोणतीही सेवा अथवा तोडगा सुरू करतांना दररोज ३, ५, ७, ९, ११,२१,५१, या विषम अंकी अंकात माळ जपावी व नंतर तोडगा सुरू करावा किंवा सेवा सुरू करावी. "श्री स्वामी समर्थ "
उत्तर द्याहटवाSwami Samarth Mahamantra and Dhun महामंत्र – धून
Swami Samarth 108 jap/Sahastranamam108 जप/सहस्रनाम
Swami Samarth Stavan Charitra स्तवन व चरित्र
Shri Swami Samarth Mantra श्री स्वामी समर्थ मंत्र