कालसर्प योग शांति के उपाय
कालसर्प एक ऐसा योग है जो जातक के पूर्व जन्म के किसी अपराध के दंड या शाप के फलस्वरूप उसकी जन्मकुंडली में विधमान होता है। जब कुंडली में सातों ग्रह राहु व केतु के बीच हों तो यह घातक कालसर्प योग बनता है। इसमें व्यक्ति आर्थिक व शारीरिक रूप से परेशान तो होता ही है, उसे संतान संबंधी कष्ट भीं होता है। उसको हमेशा आर्थिक संकट घेरे रहते है। उसे तरह तरह के रोग भी सताते रहते हैं। बनते कामों में बेवजह रुकावटें आती रहती है।ऐसे व्यक्ति को जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखने को मिलते है ।
कालसर्प योग वाले बहुत से ऐसे व्यक्ति भी हो चुके हैं, जो अनेक कठिनाइयों को झेलते हुए भी ऊंचे पदों पर पहुंचे। जिनमें भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्व॰ पं॰ जवाहर लाल नेहरू, स्व॰ मोरारजी भाई देसाई व स्व॰ चंद्रशेखर सिंह भी कालसर्प से ग्रसित थे। किंतु वे फिर भी भारत के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित कर चुके हैं। अत: किसी भी स्थिति में व्यक्ति को मायूस नहीं होना चाहिए और उसे अपने कर्तव्यों का पालन पूरे मनोयोग योग से करना चाहिए ।
मुख्य रूप से 12 कालसर्प योग माने गए है ।
1 अनंत कालसर्प योग
2 कुलिक कालसर्प योग
3 वासुकि कालसर्प योग
4 शंखपाल कालसर्प योग
5 पदम कालसर्प योग
6 महापदम कालसर्प योग
7 तक्षक कालसर्प योग
8 कारकोटक कालसर्प योग
9 शंखचूड़ कालसर्प योग
10 घातक कालसर्प योग
11 विषधर कालसर्प योग
12 शेषनाग कालसर्प योग
यदि कालसर्प योग का प्रभाव किसी जातक के लिए अनिष्टकारी हो तो उसे जीवन में सफलता हेतु इसके उपाय अवश्य ही करने चाहिए।
काल सर्प योग के उपाय के लिए सावन मास की बहुत महत्ता मानी गयी है । विशेषकर कल सर्पयोग के उपाय का अचूक समय सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी नाग पूजा का दिन अर्थात नाग पंचमी मानी गयी है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमी तिथि के देवता शेषनाग हैं। इसलिए यह दिन बहुत शुभ फल देने वाला माना जाता है। नागपंचमी के दिन कालसर्प दोष शांति के लिए नाग और शिव की विशेष पूजा और उपासना से जीवन में आ रही बाधाएं निश्चित ही दूर होती है ।
काल सर्प योग के उपाय नदी के किनारे या शंकरजी के मंदिर में किये जाने चाहिये। कालसर्प योग शांति के लिए उज्जैन में महाकाल और नासिक में त्रयंबकेश्वर सबसे सिद्ध स्थान माना गया है । काल सर्प योग से पीड़ित जातक को यथसंभव इन स्थानों पर जाकर दर्शन, पूजा अर्चना अवश्य ही करनी चाहिए ।
कालसर्प योग के कुछ बहुत ही आसान उपाय
* 108 राहु यंत्रों को जल में प्रवाहित करें।
* चौबीस मोर पंख लेकर उसकी झाडू बनवाकर इसे सदैव शयनकक्ष में रखे तथा प्रतिदिन राहुकाल के समय इससे जातक के शरीर पर झाड़ा लगाये।
* 40 दिन जौ के दाने पक्षियों को खिलाएं।
* घर की रसोई घर में बैठकर भोजन करें और बुधवार के दिन ताजी मूली का दान करें।
* अमावस्या के दिन पितरों को शान्त कराने हेतु दान आदि करें तथा कालसर्प योग शान्ति पाठ कराये।
* शयन कक्ष में बेडशीट व पर्दे लाल रंग के प्रयोग में लायें।
* हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें और मंगलवार के दिन हनुमान पर सिंदूर, चमेली का तेल व बताशा चढ़ाएं।
* शनिवार को पीपल पर शिवलिंग चढ़ाये व शिव मन्त्र का जाप करें ।
* सवा महीने देवदारु, सरसों तथा लोहवान - इन तीनों को जल में उबालकर उस जल से स्नान करें।
* काल सर्प दोष निवारण यंत्रा घर में स्थापित करके उसकी नित्य प्रति पूजा करें ।
* सोमवार को शिव मंदिर में चांदी के नाग की पूजा करें, पितरों का स्मरण करें तथा श्रध्दापूर्वक बहते पानी में नागदेवता का विसर्जन करें।
* श्रावण मास में 30 दिनों तक महादेव का अभिषेक करें।
* लोहे का नाग नागिन का जोड़ा बनवाकर बहते पानी में बहायें।
* श्रावण के प्रत्येक सोमवार को शिव मंदिर में दही से भगवान शंकर पर - हर हर महादेव' कहते हुए अभिषेक करें।
* श्रावण मास में रूद्र-अभिषेक कराए एवं महामृत्युंजय मंत्र की एक माला रोज करें।
* सावन में शिवलिंग पर प्रतिदिन मीठे दूध में भाँग डाल कर चढ़ाएँ इससे गुस्सा शांत होता है, साथ ही सफलता तेजी से मिलने लगती है।
* किसी शुभ मुहूर्त में ओउम् नम: शिवाय' की 21 माला जाप करने के उपरांत शिवलिंग का गाय के दूध से अभिषेक करें और शिव को प्रिय बेलपत्रा आदि श्रध्दापूर्वक अर्पित करें। साथ ही तांबे का बना सर्प शिवलिंग पर समर्पित करें।
* कालसर्प योग में गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए|
* अगर शत्रु से भय लगता हो तो चाँदी अथवा ताँबे के सर्प बनाकर उनकी आँखों में सुरमा लगाकर उसे शिवलिंग पर चढ़ा दें, इससे भय दूर होगा व शत्रु भी शांत हो जायेंगे ।
* यदि परिवार में क्लेश होता हो, आपसी प्रेम की कमी हो रही हो तो भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति जिसके सिर पर मोरपंखी मुकुट धारण हो घर में स्थापित करें एवं प्रतिदिन उनका पूजन करते हुए ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का यथाशक्ति जाप करे।
* किसी शुभ मुहूर्त में मसूर की दाल तीन बार गरीबों को दान करें।
किसी शुभ मुहूर्त में सूखे नारियल को बहते जल में तीन बार प्रवाहित करें तथा किसी शुभ मुहूर्त में शनिवार के दिन बहते पानी में तीन बार कोयला भी प्रवाहित करें
* मंगलवार एवं शनिवार को रामचरितमानस के सुंदरकाण्ड का पाठ श्रध्दापूर्वक करें।
* श्रावण महीने के हर सोमवार का व्रत रखते हुए शिव का रुद्राभिषेक करें। शिवलिंग पर तांबे का सर्प विधिपूर्वक चढ़ायें।
* शनिवार का व्रत करें और राहु,केतु व शनि के साथ हनुमान की आराधना करें। शनिवार को श्री शनिदेव का तैलाभिषेक करें
* शिव के ही अंश बटुक भैरव की आराधना से भी इस दोष से बचाव हो सकता है।
* प्रथम पूज्य शिव पुत्र श्री गणेश को विघ्रहर्ता कहा जाता है। इसलिए कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए गणेश पूजा भी करनी चाहिए।
* एक वर्ष तक गणपति अथर्वशीर्ष का नित्य पाठ करें।
शनिवार, २१ मे, २०१६
कालसर्प योग शांति के उपाय
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