शुक्रवार, ४ डिसेंबर, २०१५

मी माझ्या आयुष्यात प्रत्येक व्यक्तिला किंमत
देतो.!!!!!
" कारण" जे चांगले आहेत ते साथ देतील व जे
वाईट असतील ते अनुभव देतील.......!!
: किती दिवसाचे आयुष्य असते?
आजचे अस्तित्व उद्या नसते,
मग जगावे ते हसून-खेळून
कारण या जगात उद्या काय होईल
ते कोणालाच माहित नसते.
एकत्र येणे ही सुरवात, एकामेकांसोबत राहणे
ही प्रगति आणि एकामेकांसोबत काम करणे म्हणजे
यश....

CALL OF GOD��☎

मैं उपरवाला बोल रहा हूँ, जिसने ये पूरी दुनिया बनाई वो उपरवाला.

तंग आ चूका हूँ  मैं तुम लोगों से,

घर का ध्यान तुम न रखो और चोरी हो जाये तो, "उपरवाले तूने क्या किया".

गाड़ी तुम तेज़ चलाओ और धक्का लग जाये तो, "उपरवाले........".

पढाई तुम न करो और फेल हो जाओ तो, "उपरवाले.........".

ऐसा लगता है इस दुनिया में होने वाले हर गलत काम का जिम्मेदार मैं हूँ.

आजकल तुम लोगो ने एक नया फैशन बना लिया है, जो काम तुम लोग नहीं कर सकते, उसे करने में मुझे भी असमर्थ बता देते हो!

उपरवाला भी भ्रष्टाचार नहीं मिटा सकता,
उपरवाला भी महंगाई नहीं रोक सकता,
उपरवाला भी बलात्कार नहीं रोक सकता.......
ये सब क्या है?
भ्रष्टाचार किसने बनाया?
मैंने?
किससे रिश्वत लेते देखा है तुमने मुझे?

मैं तो हवा, पानी, धुप, आदि सबके लिए बराबर देता हूँ,

कभी देखा है कि ठण्ड के दिनों में अम्बानी के घर के ऊपर मैं तेज़ धुप दे रहा हूँ, या गर्मी में सिर्फ उसके घर बारिश हो रही है ?

उल्टा तुम मेरे पास आते हो रिश्वत की पेशकश लेकर,
कभी लड्डू,
कभी पड़े,
कभी चादर.
और हा,
आइन्दा से मुझे लड्डू की पेशकश की तो तुम्हारी खैर नहीं,
मेरे नाम पे पूरा डब्बा खरीदते हो,
एक टुकड़ा मुझपर फेंक कर बाकि खुद ही खा जाते हो.

ये महंगाई किसने बनाई?
मैंने?
मैंने सिर्फ ज़मीन बनाई,
उसे "प्लाट" बनाकर बेचा किसने?

मैंने पानी बनाया,
उसे बोतलों में भरकर बेचा किसने?

मैंने जानवर बनाये,
उन्हें मवेशी कहकर बेचा किसने?

मैंने पेड़ बनाये,
उन्हें लकड़ी कहकर बेचा किसने?

मैंने आज तक तुम्हे कोई वस्तु बेचीं?
किसी वस्तु का पैसा लिया?
सब चीज़ों में कसूर मेरा निकालते हो।
अभी भी समय है
सुधर जाओ
वरना
फिर मत कहना
ये प्रलय क्यूँ आया ।
����..Pl. think over it, Dont play with nature....

एक न उलगडलेलं कोडं ....




.
गरीबांसाठी लढणारी लोक
लढता लढता श्रीमंत कशी होतात  ?
��������������

सर्व आजारांवर औषध आहे, पन एका आजारावर आज पर्यंत औषध सापडल नाही.
आणि

तो

आजार

म्हणजे.....
...
...
...
कसतरीच होतंय...!!

मी    वैद्कीय   शिबीरा साठी  अनेक  वृद्ध  आशरमात  गेलो मी    वृद्धा ना  जेव्हा  विचारले   आपले  मुले  काय  करतात  मन  डी हादरले  डोळे  पाणावले  सर्वांची  मूल  मोठ मोठ्या  हुद्या वर   पण

एकही  आई  किंवा वडिल  असे  भेटले   नाही    की आम्ही  -------- गुरव  चे   आई  वडिल आहोत    मित्रहो 
������
मला  गर्व  नाही  तर  माज �� आहे  गुरव  असल्या चा 
��आम्ही  गुरव  आहोत ��
      ��हाच आमचा गौरव��

बाबा रणछोड़ दास कहते है----
सही औरत के पीछे भागोगे तो
रोबर्ट वाड्रा बनोगे..!
गलत औरत के पीछे भागोगे तो
विजय माल्या बनोगे..!
एक औरत के पीछे ज्यादा भागोगे तो
मनमोहन सिंह बनोगे..!
औरत के पीछे नही भागोगे तो
नरेन्द्र मोदी बनोगे..!!
सभी औरतो के पीछे भागोगे
तो आसाराम बापु बनोगे...!!
हज़ारो आती है,
हज़ारो जाती है,
हज़ारो हसाती है,
हज़ारो रुलाती है,
लेकिन मेरे दोस्त,
“साथ वही निभाती है जो डोली
में आती है और गले पड जाती है”

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