"मैं आपको बताना चाहूंगा, कि आर्ट ऑफ लिविंग में जो लोग हैं, वे कहीं किसी दूसरे ग्रह से नहीं आये हैं, वे इसी दुनिया के आम लोग हैं, और उनके अंदर वे सभी गुण हैं, जो दुनिया में रहने वाले लोगों के अंदर होते हैं| वे अलग नहीं हैं|
हाँ, आपकी अपेक्षा आर्ट ऑफ लिविंग के लोगों से इसलिए ज्यादा होती है, क्योंकि आपको लगता है कि वे ज्ञान में डूबे हुए हैं, कि वे प्रेम में हैं, वे लोगों की सेवा करते हैं| इसलिए आपकी अपेक्षा इनसे कहीं ज्यादा हैं, क्योंकि आपको दिख रहा है कि वे बहुत भाग्यशाली हैं| यह सही है! लेकिन आप शुरुआत अपने आप से करिये, कि आप कितने भाग्यशाली हैं, कि आपके अंदर लोगों को स्वीकार करने का धैर्य है|
लोग मुझे सवाल करते हैं, कि ‘आपने ऐसे लोगों को अपना टीचर क्यों बनाया है जो इतने हठी हैं, जो हमेशा गुस्से में रहते हैं’, और यही सब|
मैं उनसे कहता हूँ, कि मुझे हर तरह के लोग चाहिये, हर जाति के, हर प्रजाति के| मैं उन्हें साथ लेकर चलता हूँ, और सब लोग मेरे साथ सहज महसूस करते हैं, और मैं भी उनके साथ सहज महसूस करता हूँ| मेरे अंदर धैर्य है, कि मैं उन्हें विकसित होते हुए देखूं| इसी तरह आर्ट ऑफ लिविंग इतनी बड़ी हुई है|
अगर मैं हर जगह पूर्णता और उत्तमता को ही ढूँढ रहा होता, तो मैं आपसे कहूँ, कि हम आज यहाँ ना होते| हम आज यहाँ ना बैठे होते| मैं कहीं और होता, और आप कहीं और होते| हमें धैर्य की ज़रूरत है|
ये ऐसे ही है, जैसे स्कूल में, आप ये उम्मीद नहीं कर सकते कि सभी बच्चे एक ही क्लास में हों| और ऐसा भी नहीं है, कि एक क्लास दूसरी क्लास से बेहतर है| ऐसा तो नहीं है कि नर्सरी क्लास के बच्चे प्राइमरी क्लास के बच्चों से श्रेष्ठ हैं| यहाँ कोई श्रेष्ठता नहीं है, ये ऐसे ही होता है, जैसे होना चाहिये| सिर्फ एक समय होता है, और अपनी गति होती है, कि वे एक क्लास से दूसरी क्लास में जाते हैं, एक स्तर से दूसरे स्तर में पहुँचते हैं| लोग आगे बढ़ते रहते हैं, उनका विकास होता रहता है, हमें धैर्य चाहिये| और मैं आपसे कहता हूँ, कि यह आपके धैर्य की परीक्षा है, और यह अच्छा है|"
बुधवार, २ डिसेंबर, २०१५
आर्ट ऑफ लिविंग
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