अमर शहीद हेमू कालाणी की आज 21 जनवरी को पुण्यतिथि है। अमर शहीद हेमू कालाणी को आज के दिन अंग्रेज सरकार ने 19 वर्ष की अल्प आयु में फांसी पर लटकाया था।
अमर शहीद हेमू कालाणी की जीवनी
हेमू कालाणी (Hemu Kalani)भारत के एक क्रान्तिकारी एवं स्वतन्त्रता संग्रामसेनानी थे।
अंग्रेजी शासन ने उन्हें फांसी पर लटका दिया था।
आरम्भिक जीवन
हेमू कालाणी सिन्ध के सख्खर(Sukkur) में २३ मार्च सन् १९२३ को जन्मे थे।
उनके पिताजी का नाम पेसूमल कालाणी एवं उनकी माँ का नाम जेठी बाई था।
स्वतन्त्रता संग्रामजब वे किशोर वयस्क अवस्था के थे तब उन्होंने अपने साथियों के साथ विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया और लोगों से स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने का आग्रह किया.
सन् १९४२ में जबमहात्मा गांधीनेभारत छोड़ो आन्दोलनचलाया तो हेमू इसमें कूद पड़े।
१९४२ में उन्हें यह गुप्त जानकारी मिली कि अंग्रेजी सेना हथियारों से भरी रेलगाड़ी रोहड़ी शहर से होकर गुजरेगी.
हेमू कालाणी अपने साथियों के साथ रेल पटरी को अस्त व्यस्त करने की योजना बनाई. वे यह सब कार्य अत्यंत गुप्त तरीके से कर रहे थे पर फिर भी वहां पर तैनात पुलिस कर्मियों की नजर उनपर पड़ी और उन्होंने हेमू कालाणी को गिरफ्तार कर लिया और उनके बाकी साथी फरार हो गए.
हेमू कालाणी को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई. उस समय के सिंध के गणमान्य लोगों ने एक पेटीशन दायर की और वायसराय से उनको फांसी की सजा ना देने की अपील की. वायसराय ने इस शर्त पर यह स्वीकार किया कि हेमू कालाणी अपने साथियों का नाम और पता बताये पर हेमू कालाणी ने यह शर्त अस्वीकार कर दी.
२१ जनवरी १९४३ को उन्हें फांसी की सजा दी गई. जब फांसी से पहले उनसे आखरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने भारतवर्ष में फिर से जन्म लेने की इच्छा जाहिर की.
इन्कलाब जिंदाबाद और भारत माता की जय की घोषणा के साथ उन्होंने फांसी को स्वीकार किया।
भारत माता के लाल अमर शहीद हेमू कालाणी को सैनिक दर्पण की ओर से सत सत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि !!!
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