गुरुवार, १९ नोव्हेंबर, २०१५

माता - पिता - श्री पवन धोंडूपंत गुरव, धुळे

दिल के एक कोने मे मन्दिर बना लो।
मात-पिता की मूरत उस मे बिठा लो।
दिया ना जलाओ पर गले से लगा लो।
आरती के बदले ,कुछ उनकी सुनो ,कुछ अपनी सुनाओ।
पहला भोग मात-पिता को लगा कर तो देखो।
इनके चरणों मे माथा झुका क़र तो देखो।
धर्म स्थलो पर जो मागने जाओगे।
अरे !!! बिन मागे घर मे पाओगे ।।
जिस के घर मे माँ-बाप हसते है
प्रभु तो स्वयं ही उस घर मे बसते है।

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