गुरुवार, १९ नोव्हेंबर, २०१५

जीवन - सौ वैशाली रविन्द्र खैरनार, नाशिक

आपने गन्‍ना देखा है ना ।
उसमें जिस जगह गांठ होती है वहां रस नहीं होता और
जहां रस होता है वहां गांठ नहीं होती ।
बस जीवन भी ऐसा ही है ।
यदि मन में व्‍यक्तियों के प्रति द्वेष की गांठ होगी
तो जीवन नीरस बन जायेगा और
जीवन को सरस बनाये रखना हो
तो द्वेष की गांठ निकालना होगी ।

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