गुरुवार, १९ नोव्हेंबर, २०१५

मनुष्य कितना मूर्ख है - सौ कविता गणेश गुरव


��प्रार्थना करते समय समझता है कि भगवान सब सुन रहा है,
��पर निंदा करते हुए ये भूल जाता है।
��पुण्य करते समय यह समझता है कि भगवान देख रहा है,
��पर पाप करते समय ये भूल जाता है।
��दान करते हुए यह समझता है कि भगवान सब में बसता है,
��पर चोरी करते हुए ये भूल जाता है।
��प्रेम करते हुए यह समझता है कि पूरी दुनिया भगवान ने बनाई है,
��पर नफरत करते हुए ये भूल जाता है।
��..और हम कहते हैं कि मनुष्य सबसे बुद्धिमान प्राणी है।
��क़दर किरदार की होती है,
वरना...
��कद में तो साया भी
इंसान से बड़ा होता है......
��������
��मंदिर भी क्या गज़ब की जगह है...
��गरीब बाहर भीख मांगते हैं और अमीर अन्दर....
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